Chairperson Note
वर्ष 2004 में गंगा दशहरा (29 मई) के दिन देवनद दामोदर के पवित्र उद्गम स्थल चुल्हापानी से एक विनम्र ‘‘पर्यावरण पहल’’ की शुरूआत हुई। यह शुरूआत दामोदर बचाओ आन्दोलन के रूप में हुई जो स्वयंसेवी संगठन युगान्तर भारती के तत्वावधान में गठित विभिन्न स्वयंसेवी समूहों का एक साझा मंच है। देवनद दामोदर को औद्यौगिक एवं नगरीय प्रदूषण से बचाने के लिये चुल्हापानी से ‘‘अध्ययन सह जनजागरण यात्रा’’ आरम्भ हुई जिसका समापन विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) को कोलकाता में हुआ। कोलकाता दामोदर घाटी निगम (डी.वी.सी.) का मुख्यालय है। देवनद दामोदर के प्रदूषण की अद्यतन स्थिति से अवगत होना और वस्तुस्थिति से जनमानस को अवगत कराना इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य था।
यात्रा दल में समाजकर्मी, स्वयंसेवी समूह, प्रबुद्ध समाज, किसान, मजदूर, युवा, विद्यार्थी वर्गो का प्रतिनिधित्व तो था ही इसके साथ प्रमुख पर्यावरण वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों का एक दल भी अपनी प्रयोगशाला के साथ पूरा समय तक शामिल था। इस दल के मार्गदर्शक पटना विश्व विद्यालय के यशस्वी शोधकर्मी प्राध्यापक और विश्वस्तरीय पर ‘‘डाल्फिन मैन’’ के रूप में विख्यात प्रो. (डाॅ.) आर. के. सिन्हा तथा उनके सहयोगी और सम्प्रति ‘‘जूलोजिकल सर्वे आॅफ इंडिया (जेड. एस. आई)’’ के बिहार-झारखंड क्षेत्र प्रभारी डाॅ. गोपाल शर्मा यात्रा दल के साथ आरम्भ से अंत तक रहे। इन्होंने स्थान-स्थान पर देवनद दामोदर के प्रदूषित जल, गाद, जलीय जीवों एवं वनस्पतियों का नमूना संग्रह किया और इनके कई मानकों की जाँच नमूना स्थल पर ही करके इसके बारे में लोगों को बताया। सात दिनों तक लगातार चलती रही इस ‘‘अध्ययन सह जनजागरण यात्रा’’ में प्रतिदिन संगोष्ठियाँ, सभायें, सामूहिक वार्तालाप के कार्यक्रमों के साथ-साथ देवनद दामोदर के वीभत्स एवं अमानवीय प्रदूषण के लिये जिम्मेदार झारखंड राज्य बिजली बोर्ड एवं डी. वी. सी. के ताप बिजली घरों, बोकारो स्टील कारखाना, कोल इंडिया की कोलवाशरियों सहित अन्य औद्योगिक इकाइयों के अधिकारियों एवं श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ भी सार्थक विमर्श हुये।
यात्रा दल वापस राँची लौटा तो झारखंड के अग्रणी स्वयंसेवी संगठन विकास भारती के कार्यालय परिसर में 5 जून, 2004 को यात्रा के अनुभवों के संदर्भ में एक बड़ी संगोष्ठी हुई। यह महज संयोग नहीं कि यात्रा की पूर्व संध्या पर 28 मई, 2004 को राँची बेतार केन्द्र स्थित एक अन्य स्वयंसेवी संगठन ‘‘सिटिजन फांउन्डेशन’’ के कार्यालय परिसर में एकत्र होकर आवश्यक विचार विमर्श के उपरांत यात्रा दल ने औपचारिक प्रस्थान बिन्दु चुल्हा पानी समय पर पहुँचने के लिये एक समूह के रूप में प्रस्थान किया था। यात्रा समापन के उपरांत यात्रा के निष्कर्ष से झारखंड सरकार को अवगत कराने के लिये दामोदर बचाओ आन्दोलन का शिष्टमंडल राज्य के माननीय राज्यपाल ओर माननीय मुख्यमंत्री से मिला और दामोदर को प्रदूषण मुक्त करने के लिये उन्हें मांग पत्र सौंपा। यात्रा के दौरान एकत्र प्रदुषित जल, गाद और जलीय जीवों एवं वनस्पतियों के सीमित नमूनों की जाँच पटना साइंस काॅलेज के जीव विज्ञान प्रयोगशाला में प्रो. आर. के. सिन्हा और डाॅ. गोपाल शर्मा की देखरेख में हुई। जाँच काफी खर्चीला होने और दामोदर बचाओ आन्दोलन के पास धन की कमी होने के कारण शेष नमूनों की जाँच हजारीबाग स्थित झारखंड सरकार की प्रयोगशाला में कराने की कोशिश की गयी। परन्तु वहाँ के विशेषज्ञों एवं रसायनों की कमी तथा जाँच की गुणवत्ता के प्रति रूचि के अभाव के कारण यह भी संभव नहीं हो सका। काफी नमूने यहाँ से वहाँ ले जाने में बर्बाद हो गये।
इसके बाद युगांतर भारती के तात्वावधान में जन सहयोग से एक पर्यावरणीय प्रयोगशाला स्थापित करने का प्रयत्न आरम्भ हुआ। डाॅ. गोपाल शर्मा और राँची विश्वविद्यालय में पर्यावरण के प्राध्यापक प्रो. एम. के. जमुआर एवं अन्य के मार्गदर्शन और स्मारिका विज्ञापन के माध्यम से एकत्र सहयोग राशि से उपकरण क्रय कर स्थापित युगान्तर भारती की जल गुणवता परीक्षण पर्यावरणीय प्रयोगशाला का स्तरीय स्वरूप हम सभी के सामने है। प्रयोगशाला को झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मान्यता मिल चुकी है। ओर राष्ट्रीय स्तर पर ‘‘नेशनल एक्रिडेशन बोर्ड फाॅर लेबोरेट्रीज एंड कैलिब्रेशन’’ से मान्यता मिलने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
भारत के पूर्व वित्त एवं विदेश राज्य मंत्री श्री यशवंत सिन्हा के सांसद निधि से प्राप्त ‘‘एटाॅमिक एबजाप्र्शन स्पेक्ट्रोफोटोमीटर’’ का विशेष योगदान प्रयोगशाला को उपकरण समृद्ध बनाने में है। लोकसभा सांसद श्री निशिकांत दूबे और राज्य सभा सांसद श्री जय प्रकाश नारायण सिंह की सांसद निधि से एक अन्य उपयोगी उपकरण ‘‘गैस क्रोमोटोग्राफ’’ उपलब्ध कराने संयुक्त पहल हुई थी। परन्तु राँची जिला प्रशासन के एक अधिकारी की नियमापत्ति के कारण उनकी निधि का इस मद में उपयोग नहीं हो सका। यह निधि निर्माणाधीन प्रयोगशाला भवन के एक लघु अंश के निर्माण मद में स्थानांतरित की गयी है।
2004 के गंगा दशहरा के पवित्र अवसर पर आरम्भ युगांतर भारती के पर्यावरण पहल का एक दशक 2014 के गंगा दशहरा के दिन पूरा हो जायेगा। इस अवधि में अति सीमित संसाधन और असीमजनसहयोग की बदौलत पर्यावरण पहल का बहुआयामी विस्तार करने का सार्थक प्रयत्न हुआ है। इस दरम्यान पर्यावरण पहल की फलक पर दामोदर बचाओ आन्दोलन और पर्यावरणीय प्रयोगशाला के साथ-साथ स्वर्णरेखा प्रदूषण मुक्ति अभियान, जल जागरूकता अभियान, सारंडा संरक्षण अभियान, सोन अंचल विकास समिति, कृषि एवं खाद्य सुरक्षा मंच, दामोदर महोत्सव, स्वर्णरेखा महोत्सव, जल, वायु, ध्वनि गुणवत्ता परीक्षण, स्कूल आॅफ इकोलाॅजी एंड इनवायरनमेंट (सीम) के माध्मयम से पर्यावरणीय शिक्षण एवं प्रशिक्षण के उपक्रम आरम्भ हुये हैं।
इसके साथ ही पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं से संबंधित समसामयिक विषयों पर कार्यशालाओं एवं संगोष्ठियों के माध्यम से जागृति लाने और विचार सम्प्रेषण करने उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष जनोपयोगी आयोजन करने का सिलसिला पर्यावरण पहल के प्रथम वर्ष से ही आरम्भ हुआ और बदस्तुर जारी है।
विश्व जल दिवस (22 मार्च), पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल), जैव विविधता दिवस (22 मई) का आयोजन प्रत्येक वर्ष युगांतर भारती द्वारा किया जाता है। इन दिवसों पर तथा अन्य अवसरों पर भी पर्यावरण संरक्षण के विभिन्न पहलुओं पर संगोष्ठियों परिचर्चाओं एवं कार्यशालाओं का आयोजन होता है। इन कार्यक्रमों में राष्ट्रीय स्तर एवं स्थानीय स्तर के लब्धप्रतिष्ठ विशेषज्ञों का मार्गदर्शन प्राप्त होता है।
विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं शिक्षण संस्थाओं के साथ संयुक्त कार्यक्रमों का आयोजन तथा वहाँ के विद्यार्थियों के लिये प्रशिक्षण के कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित होते हैं। युगांतर भारती की पर्यावरणीय प्रयोगशाला में प्रशिक्षण लेने हेतु विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के संबंधित विभाग अपने विद्यार्थियों को शिक्षण-प्रशिक्षण हेतु भेजते हैं। निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थान भी अपने वैधानिक दायित्वों को पूरा करने के लिये और औद्यौगिक एवं नगरीय प्रदूषण से प्रभावित जलस्रोतों की जल गुणवत्ता का विश्लेषण ‘‘स्कूल फार इकोलोजी एवं इनवायरनमेंटल मैनेजमेंट (सीम)’’ के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में यह कार्य सम्पन्न होता है।
पर्यावरण को क्षति पहुँचाने वाले और प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले सरकारी, अर्द्ध सरकारी एवं निजी संस्थानों के क्रियाकलापों का विरोध करने तथा उन्हें पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के नियमों-संस्थानों के क्रियालापों का विरोध करने तथा उन्हें पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के नियमों-कानूनों को लागू करने पर बाध्य करने हेतु उनपर दबाव डालने वाले प्रतिरोध कार्यक्रमों का आयोजन समय-समय पर करने की दिशा में भी युगांतर भारती सक्रिय रही है। 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सार्वजनिक क्षेत्र की वैसी औद्योगिक इकाइयों के मुख्यालयों के सामने प्रतिरोध धरना का कार्यक्रम आयोजित करने का सिलसिला शुरू किया गया जो एक ओर नियमों का उल्लंघन का बेतहाशा कार्यक्रम आयोजित करने का सिलसिला शुरू किया गया जो एक ओर नियमों का उल्लंघन कर बेतहाशा प्रदूषण फैलाती हैं तो दूसरी ओर विश्व पर्यावरण दिवस मनाने के लिये बढ़चढ़कर कार्यक्रम आयोजित करती हैं और अपने संबंधित विभागों और अधिकारियों को पुरस्कृत एवं सम्मानित करती हैं।
इनमें से अधिकतम आयोजन युगांतर भारती द्वारा शुभेक्षुओं के माध्यम से अर्जित सहयोग के आधार पर सम्पन्न हुये हैं। ऐसे कार्यक्रम उँगलियों पर गिने जाने लायक हैं जो राज्य अथव केन्द्र उपलब्ध है। यह सिलसिला आगे भी जारी रखने का हमारा संकल्प है। उपर्युक्त आयोजनों के माध्यम से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के अनेक विद्वानों एवं विशेषज्ञों के साथ युगांतर भारती को जुड़ने का और उनसे काफी कुछ सीखने का मौका मिला है। इसी प्रकार अनेक स्वयंसेवी संगठन, शिक्षण संस्थान और सामाजिक संगठन पर्यावरण पहल के विभिन्न कार्यक्रमों के साथ समय-समय पर संबद्ध हुये हैं। इनका विस्तृत विवरण भी यथास्थान मौजूद है। युगांतर भारती परिवार इन सभी के प्रति हृदय से अनुगृहित है।
केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित पेयजल गुणवता एवं स्वच्छता अभियान के कतिपय कार्यक्रमों और प्रकल्पों में भी युगांतर भारती की सहभागिता रही है। इस संदर्भ में भारत सरकार के महात्वाकाँक्षी कार्यक्रम ‘‘इको वाटर लिटरेसी माॅनिटरिंग’’ के प्रशिक्षण तथा झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा विभिन्न जिलों में क्रियान्वित भूगर्भ जलस्रोतों की गणवत्ता परीक्षण कार्यøमों का विषेश उल्लेख प्रासंगिक है। हमारे कार्यबल के व्यवहारिक अनुभव, दखता एवं कौशल विकास के परिप्रेक्ष्य में तथा प्रबंधकीय प्रवीणता एवं स्वावलम्बी कार्यशैली के संदर्भ में इस अभियान से हमारे जुड़ाव की महती भूमिका है।
एक दशक के पर्यावरण पहल की बहुआयामी गतिविधियों के दौरान युगांतर भारती की प्रबंधकीय संरचना में एक व्यापक एवं समन्वित दृष्टिकोण युक्त अनौपचारिक कार्यशैली का स्वतःस्फूर्त विकास हुआ है और पारिवारिक परिवेश और सामूहिकता के भाव से अत्यल्प संसाधन की चुनौतियों की बाधा सफलतापूर्वक पार करने का विश्वास पैदा हुआ है। फलस्वरूप 10 साल पहले आरम्भ हुई एक विनम्र पर्यावरण पहल का पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में उल्लेखनीय विस्तार संभव हो सका है और युगांतर भारती की पहचान इस क्षेत्र की अग्रणी संस्था के रूप में स्थापित हो सकी है। युगांतर भारती परिवार के सभी सदस्य इसके लिये समान शाबाशी के हकदार हैं। यह विश्वास उतरोतर दृढ़ हो यह हमारी कामना है और सर्वशक्तिमान से यही प्रार्थना है।
मधु
अध्यक्ष, युगांतर भारती